सांझ तो पड़ी नै बड़ग्यो नीर में रै बैरी

थारी मछवा बाण कुबाण

छोळां सूं टाळै गिण-गिण माछळी

क्यूं तूं हिबोळे ऊंडै समंद नैं रे मछवा

क्यूं तूं पसारै झीणा जाळ

खारा समंदां री खारी माछळी

पाछो तो बावड़ थारी झुंपड़ी रै मछवा

थारी थाली में चानण चौक

तड़का तोड़े रै सोवन माछळी

सातूं समंदां नैं राखै नैणां मांयने रै मछवा

होठां बिच साचा मोती सात

मीठे पाणी री सोवन माछळी

कैवै तो चीरूं कंवळो काळजो रै मछवा

माथै भुरकाऊं तीखो लूण

कांटां बिना री सोवन माछळी

तेल में तळूं रै थारै राम रसोड़े मछवा

नीचै सिळगाऊं मधरी आंच

छिण-छिण सीझै रे सोवन माछळी

धोया-धाया थाळां पुरसूं आधी रै अमलां मछवा

अलंघ झिरोखे जोवूं बाट

अंग तो मरोड़े सोवन माछळी

मूंडो अेंठण ढळती रा कांई आवै रै मछवा

पैलां क्यूं नीं लेवै चाख

जतनां सूं रांधी सोवन माछळी

कैवै तो बेचां सोवन माछळी रै मछवा

बेच नै चिणावां ऊंचा मै’ल

छोडां समंदां में पाछी माछळी

स्रोत
  • पोथी : राजस्थान के कवि ,
  • सिरजक : सत्यप्रकाश जोशी ,
  • संपादक : अनिल गुप्ता ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर ,
  • संस्करण : तीसरा
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