दिन नै रात करै

बात-बात मांय

बड़ी घात करै

चानणै नै बो

अंधारो बणावै

इण काम नै कर

घणो इतरावै...

मन थू

साम्हीं क्यूं नीं आवै!

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : मधु आचार्य 'आशावादी'
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