टिम-टिम करता
अणगिणत तारां बिचाळै
पळका मारतो
औ चांद
ठाह नीं किणनैं सोधै है
ईं आभै रै जंगळ मांय
भोर हुयां
सूरज जाळ पसारै
रैण-बसेरो छोड
जिनावर-पाखी
भाजता फिरै
चांद, रात हुवम री उडीक में अर
सूरज मुळकै।