बुआरी काढती लुगाई नै
खावद रीस करतो बोल्यो-
'कियां दस मिनटां रै कारज माथै
घंटो भर लगाय देवै,
लुगाई बुआरी छैड़ै न्हाख तुणक'र बोली-
'थे ईज काढ लेवो।'
मिनख हूंस में आय'र सगळै घर नै
मिनटों में झाड़-झड़काय'र
बैठग्यो आराम सूं।
अेकाअेक जोर सूं आंधी चाली
अर देखतां देखतां सगळै घर माथै
रेत री गाढी पुड़तां चढगी।
माथै हाथ मेल वो बड़बड़ावण लाग्यो-
या लुगाई अर रेत घणी नकटी बळै
कियां कोई कब्जै में राख सकै
जद चालै, जठै चावै पसर जावै।