म्हनै अजनम्यौ रैवण दौ।

जलम ले लियौ

तौ कांई?

थे म्हनै बांध देवोला

जात

कै धरम

कै परिवार

कै देस

रै नाम री

रूढियां री मोटी जेवड़ी सूं

अर रस्सी रा दोनूं छेड़ा

अेकै साथै

इण भांत खांचोला

कै नीं तौ म्हनै मरण देवौ

अर नीं जींवतौ राखौ

थांरै बंधणां री नागफांस

केई-केई सोनल रंग धर आसी

कदै मा री ममता रौ रंग

कदै बाप रै सहारै रौ रंग

कदै भाई री भुजा रौ रंग

कदै बैनड़ री राखड़ी रौ रंग

कदै देस री रोसनी रौ रंग

कदै धरम रै जेहाद रौ रंग

थे रंगीली

रेसमी

आंटीली

गांठां नै

नवौ-नवौ नाम देय’र

कसोला

खांचोला

थे नेह

नै हेज

नै मानता रा

आंधा दीवा

इण भांत म्हारै चारूंमेर

दीपावोला

कै अंधकुऔ

म्हनै

आभै जिसौ खुलौ लागै

खुली हवा सूं हो जावै

नमुनियै रौ भौ

अंधारै में रोसनियां री ताराफूलियां

झरती भावै

नै सूर री सांचेली किरणां

देखण री लळक

लामणीज आवै

कमरां री खिड़क्यां रै चारूंमेर

लटकावोला थे

परम्परावां रा पूर होयोड़ा

कसीदौ काढ्योड़ा पड़दा

जिण सूं

थांरी कार में जीवण दीखै

अर

हकीकत नै हामळण री

हीमत को होवै नीं

दिल रै दिमाग माथै जड़ देवोला थे

धरम रै लोह सूं ढळ्या

अलीगढी ताळा

संस्क्रितियां रै जादू री

खुल सिमसिम गुफा रै

अदीठ खजानै माथै

कोई भारी छीण

थांरै वास्तै फूल सूं हळकी

अर म्हारै वास्तै

भाखर सूं भारी

मूठियां में बंद कर देवोला

जिन्दगी विगसावण वाळौ

मुधरौ वायरौ

म्हैं ज्यूं इण पेट में बंद हूं

अर मा रौ लोही पीय’र जीवूं हूं

बंधू हूं

बारै थे म्हनै

जात

नै देस

नै मजहब

रीत भींतां में

कैद राखोला

मिनख रौ लोही पा-पा’र

जिवाओला

अर प्यालां रौ नाम

कदैई सेवा

कदैई त्याग

कदैई बळीदान

इण भांत राखोला

कै वौ रगत

दूध निजर आवै

अर थे नित पावता जाओ रगत

कोरौ रगत

म्हैं तो गरभ में थांरी

नित-नित री बात सुण-सुण’र

हैरान हूं

बारै कांई ठा कांई होसी?

अणजनम्यौ रैवण दौ महनै।

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : रामेश्वर दयाल श्रीमाली ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा
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