ईं भौम माथै कर राख्यो है कब्जो

अर आभै रो करै धिणाप

बण'र देवदूत अेक्का-दुक्का लोग!

दूजी ठौड़, हाथां में हळ, कस्सी

अर माथै पीड़ री पांड ऊंचाया

फिरै मजूर

भौम ढूंढतो...

पण बीं खातर ना आभै में जिग्यां है

अर ना भौम माथे..!

स्रोत
  • सिरजक : प्रियंका भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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