चोळो खुल्लो चोड़ै पैर्‌यां, बो ऊभो

बीथोवन रै सीने ज्यूं संवरतो, तणतो

सतरंज अर अंतरात्मा, हेत अर रात पळतो।

अेक कोई सतरंज रो बादसा,

रीसां बळतो,

हाल करै दुनियां री त्यार्‌यां

परळै खातर, संवार लागग्यो

प्यादां नैं मात देवण कसतो सवार्‌यां।

बागां में बरफ रा तळभंवरां सूं

सौरम सागै तारा फेरूं जागै,

(ईसोल्दे री अंगूरी बेल हेटै कोयलड़ी)

त्रिस्तान री धड़कणां टूंपा लागै।

हौदां, बगेचां, बारादर्‌यां आपरी रीतां—

धोळिया आंसूड़ां सीलै, सौ मोटो पसराव

चीजां रो—वासना रा रूप फकत

मिनख रे मन रो घेराव।

स्रोत
  • पोथी : लेनिन काव्य कुसुमांजळी ,
  • सिरजक : बरीस पास्तरनाक ,
  • संपादक : रावत सारस्वत ,
  • प्रकाशक : राजस्थान भासा प्रचार सभा (जयपुर) ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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