वाचाविहूंणी आसीस
मत ना अंगेज
उणनै सावळ परगटण दे क्यूं नीं?
आ वाचा
ढीम बण ठस जायां करै मांय
वै सनैसा
जिका नितरोज जलमै
थारा जीव में निराताळ
पूगाय दे कानी
उण लग जिण खातर जलमै छै
फारक व्हैजा
मांयली लाय सूं
जिकी सीळी धूंणी रै आंगै सिलगै छै
बिरोबर
चढ़ गांव रै सै सूं ऊंचै तिपड़ै
कै पछै मिंदर रै मथारै
अेक चिराळी सूं ‘ना’ पाड़ दै चौवटै
जिणसूं
सपना में आवती उणरी तिणगां मेट व्है
अेक अदीठ प्रीत रा दिसावर नै
देसाटौ देय काया मांय सूं
फारक व्हैजा
अेक पेड़्योड़ी प्रीत रौ मार्यौ
क्यूं बड़का-तड़का करै
जूंण-जीवारी साथै
विजोग-पुरांण सूं छूट
निरवेद वेद मांय आव
आ अबोली उपनिसद
थनै उडीकै बंतळ सारू
दोय घड़ी
नैठाव सूं खुद सागै बैठ
मन री सुख-साता बूझ
पूछ काया री राजीखुसी रा संमचार
अदीठ झाळ में मत ना दमझाळ
आपरौ काळजौ
परसेवा रै आंगै बारै आ खुद सूं
देख बारै कित्ती ठाडी बायरी छै
कोल अर उडीक मांय मत सिलग
देख
जोयला सूं भारी व्हियोड़ी डाळ री भीनास
निवतै छै थनै
थूं थारै बगत रौ ढंढेर छै भाळ
दड़-दड़ जिणरौ पलास्तर झड़ै
देख के माछळी जिको थारौ कांटौ निगळगी
वा कोई दुस्यंत री वींटी वाळी कोयनीं
के किणी रै जाल में फंस परी
आपरौ पेट चिराय
वींटीं रौ नग पळकावै
वा माछळी अबै अेक मगरमच्छ रा
पेट मांय छै
अर ग्राह सूं गज उबारण रौ अवतार व्हैग्यो
अबै धरा रै गुण ज्यूं
मूंन व्हैजा...