परेम फगत
आखर नीं
अेक भाव है
अेक भावना है
पूरी पाठी धरा है
मरु वनस्पति है
पहाड़-मैदान है
नदी-समदर-ताळाब है
लौकिक है-अलौकिक है
व्यष्टि है-समष्टि है
परेम सम्पूर्ण है
परेम सम्पूर्ण ही हुया करै
परेम साच है
क्यूंकै परेम झूठ नीं हुय सकै
परेम है तो वेदना है
परेम है तो संवेदना है
परेम है तो रिस्ता है
परेम है तो म्हैं हूं
परेम है तो आप हो
परेम है तो जग है
परेम नीं है तो कीं नीं है
परेम ही असल में
थांरी म्हारी साची धरोहर है
असल विरासत है
परेम रै परबार कीं नीं है
परेम अेक शाश्वत साच है
परेम थांरी म्हारी सांस है
परेम थांरी म्हारी आस है