थांरै सूं अळगौ व्हियां पछै

अपड़ूं किण रूंख

रौ डाळौ?

कै भोळै-ढ़ाळै रौ

रांम रुखाळौ।

(अर लाई राम री रुखाळी करै सित्तर सींगां वालौ)

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकासण, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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