जिण नै अेकर उचारियां

व्है सके मुगती

वौ अण उचार्योड़ौ पड़्यौ हौ

झोयला रै टोपां पड़ती किरण ज्यूं

न्यारा न्यारा रंगां में पळकतौ

ममोळिया री जात सुरंगौ

अढाई आखरां वाळौ वौ सबद्

पड़ियौ हौ अभ्यागत अनाथ

जिणनै कोई थूकग्यौ हौ पीक रै आंगै

वौ पड़ियौ हौ

जिकौ अजतांई नपी किचरीज्यौ

टेंक रा पैड़ा हेठै आय

नीं बह्यो किणी पूर री झाट

नीं बळ्यौ किणी लाय री झाळ

आवगी दुनियां रौ घणमोलौ सबद्‌

चवड़ै धाड़ै पड़्यौ हौ चोवटै

सगळां री निजर धकै

वौ पड़्यौ हो

अर लोगबाग उणसूं अणजांण

उणरै कने कर जावता हा नटाटूट

कांई ठाह किण माया री भाळ में

वौ पड़्यौ हो

साव सूनौ

अर बीसेक पावंडा धकै लुगायां

बड़लौ पूजती ही

वौ पड़्यौ हौ

अर भाई उणी गत

आपरी भागम भाग में गरक

अेक दूजा नै पूठ देय न्हाटता हा

वौ पड़यौ हौ

अर उणनै अणदेख्यौ कर

नवी परणी सासरी जावती ही मुळकती

कांई ठाह किण रै पांण

वौ पड़्यौ हो

अर लोग आपरी गत मत में घांण

जुद्ध री नवी तरकीबां अर कारण हेरता

कांई ठाह क्यूं हंसै हा

वौ पड़्यौ हौ लावारिस

अेक उडीक में जरू

छांनौ-मांनौ, सोचतौ

के वौ हाल कांम री चीज है।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : चंद्रप्रकाश देवल ,
  • संपादक : डॉ. भगवतीलाल व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थान साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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