मैं

पूछ्यो

सीर में हो कै न्यारा

बोल्यो

बिंया तो सागै ही हां

पण रोट़डी न्यारी न्यारी बणावां।

बो बोल्यो थे

मैं बोल्यो

म्है रोटड़ी सागै बणावां

पण सुख दुख हंसणो रोवणो

अर कमरा

न्यारा न्यारा हैं।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : कुलदीप पारीक 'दीप' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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