झांक सकै तो झांक भायला,
पढ़ मनड़ै रा आंक भायला
सांची नै सांची कै जाणी,
भाना घड़ ना टांक भायला।
स्वार्थ सारू न्याय निबेड़ै,
झूठा पड़सी आंक भायला।
मन मोद्या मोटो नी बाजै,
सैणी पड़सी आंच भायला।
भाखर भरम पड़या है भारूं,
ले रे छीणी टांच भायला।
रातां काळी घोर अंधारो,
ज्ञान जोत सूं जांच भायला।