अजमेर आयां कित्ता दिन होयग्या

अेक वार कोनी दिख्यो परणेत

दीख्यो होवै कुण जांणै

नाम नाम सुण्यो है कानां

अेक-दूजा नै ओळखां कोनी!

तो सुख है परणीज्योड़ी बाजण में

कोई री होवण में

तीजै पौर आयग्यो बीड़ो अनदाता रो

पानां री छाब

पोसाकां, गैणां, अंतरदान

केसर कस्तूरी

मिठाई री छाबां

म्हैं खुद डोढ़ी सूं लाई बीड़ो

अर राणी उमादे भटियाणी रो

सवाग बिड़दावती

थाळ में घलाई पच्चीस मोहरां।

राणी जी नै अंगोळी कराई

सौरभ री दपटां

दीवा जुपाया गोखै-गोखै

आळै-आळै चढाया पूजा रा पुसब

नख सिख सिणगारण लागी

चतर डावड़ियां!

हाल मोत्यां री लड़ाई कोनी

गूंथी ही चोटी रै

कै पधारग्या पिण्डा म्हैलां में!

धूजगी कंवरी रै हाथ री आरसी

हळफळायगी अवरी डावड़ियां

आंचै-आंचै सारण लागी काजळ

अर बिगाड़ण लागी

रळियामणो सिणगार!

म्हैं पूगी रंगम्हैलां

आधो घूंघटो खेंच

सेजां रा सिणगार अनदाता नै

मुजरो अरज करती

घड़ी-अधघड़ी बिलमायां राखण।

म्हारै बिछिया रै घूघरां रै

खणका री अगवाणी

लड़थड़ता अनदाता

भरली म्हनैं भुजावां में।

अर म्हारै बोल्यां पैली ढंक दी

म्हारी अधरज आपरै होठां सूं

समझी कोनी

उतरतै सोळवैं सईका रै चेत री चवदस

अेकाअेक बणता इतियास नै

डरगी

इण अचींत्या अणाहूत सूं

आहेड़ी सांम्है हिरणी ज्यूं।

प्रथीनाथ,

जिकां री दुधारां लचकै

सूरां री खेटक।

धूजै मारवाड़, नागौर, सोजत

अर अजमेर री गिरद,

भींचै बरजोरी

कादम्बरी री गहळ

दायजै आई अेक डावड़ी नै!

भारमली नट कोनी सकी

झूठ मत बोल भारमली!

जद सैलां रो सांवत,

नरपत,

पड़वै रा आरण में चढ़ाय लिया

पंचसायक कंदरप ज्यूं म्हारै सांम्ही

मोह मूरछा रै पांण

म्हैं बणगी छळगारी

समोवड़ करण नै!

धुपता लाग्या म्हनैं

म्हारा सम्बोधन, विसेसण

बदळतो करता, बदळती क्रियावां!

मांग में घालै जिणरो सिंदूर!

बदळा री रात दूजी वार कोनी आवै!

म्हैं राणी क्यूं कोनी बण सकूं?

बस, म्हैं चाख लियो दुबारो

अर नटती नटती, माथो हिलावती

पलकां नै तिरछी तणाय

लूमगी नरनाह रै

संपूरण अंगां, संपूरण संगां

अंगरळी रै पैलै सवाद में!

कुण जांणे कद आई उमादे

अर ठोकर सूं गुड़ायगी पीळजोतां!

लाल किंवाड़ी रो खुड़को कोनी सुणीज्यो

दिन ऊगां फगत लाध्या

धरती पड़ी म्हारी कांचळी रै लाग्योड़ा

भटियाणी जी रै काजळ टीकी रा

पूंछ्योड़ा अहनाण!

कुंडाळी बण आंगणै ढळक्योड़ा

म्हारा घाघरा माथै

ठोकर रा सळ।

भींतां माथै चिपियोड़ी गाळियां।

मोड़ै ढळक्योड़ा आंसू

अर चौबारै बिखरयोड़ी

चूड़ियां, बींटियां, रिमझोळां,

करणफूल, बोर अर बाजूबंद।

म्हैं दूजै दिन जागी।

स्रोत
  • पोथी : निजराणो ,
  • सिरजक : सत्य प्रकाश जोशी ,
  • संपादक : चेतन स्वामी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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