डागळै पड़ियो है चांद
पगोथिया गमग्या।
हजार बार देखियोड़ो मरुथळ
फेरूं-फेरूं बुलावै
देखण सारू आपरो अखन कुंवारो रूप।
जाऊं कींकर,
थारै बिना अेकलो?
थारी ओळूं रै बियाण
म्हैं सवार
जाऊं तो बस जाऊं जूनी जातरा
सूंघतो फिरूं
चीजां माथै बचियोड़ो थारो परस
ओ दरख्त देख—
आज जको चांद डागळै पड़ियो है
इणी दरख्त री डाळ माथै धरियोड़ो हो।
म्हें बस री खिड़की सूं हाथ पसारियौ
अर धर दीन्यो हो इणनै थारै होठां माथै
सरणाटै बगती बस रै सांवळे उजास
ओ चांद फगत म्हारै सारू मुळक्यो
म्हैं इमरत छिकियो
जिण रै पांण जीवूं अजेस
नींतर मरण में कोई कसर?
म्हारी किताब धरियोड़ी थारी मोरपांख
बण जावै पूरो-सूरो मोरियो
ओ मोर नाच
म्हारी छाती खूंदै...
थारो उपहार दीन्योड़ो
ओ नान्हों-सो चरखो
आठूं पोर कातै ओळू रो सूत
उळझै म्हारा रात-दिन
इण भांत
थारा ई अणदीठ तांतां मांय
म्हारै तांतां-पजियै हांफळरासै नै
लोग कविता केवै।
थारी ओळूं रै बियाण
म्हैं सवार
पूग जावूं काळ में गमियोड़ै अेक सियाळै
दिनुगै-दिनुगै भींत माथै
वार्निश री गळाई चमकतै तावड़े रै पाखती
ठंड सूं ठरियोड़ी थारी नाक
तावडै नै तीखो करै।
म्हारै अंतस उतरती जावै
तावड़ै री अणी
म्हारी भुजावां पसरै
अंवेरण सारू थारै काळजै री आखी ठारी
ओ नाकुछ पड़दै रो पल्लो
बायरै रै समचै
अजेस देवै थारी सांसां री सौरम
थारी आ सौरम
म्हारै फेंफड़ा रै चूंटिया भरै
थारी ओळू रै बियाण
म्हैं सवार
पूग जावूं अणजाणै आंतरै बसियोड़ै
अणसेंधै अेक सै’र
बगनो होय जोवूं सै’र रै मूंडै सामीं
अणचक ऊघड़ै थारी ओळख रा अैनांण
थड़ी आळे रै मूंडै माथै।
जिणरी दीन्योड़ी चाय
पीवगी ही थूं सुड़क-सुड़क म्हारै सूं ई पैली
कैंवती—''सोरी...घणी ताळ सूं पीवी इण सारू...''
संतरां सूं भरियोड़ी अेक रेड़ी
ऊंधी हुय जावै
म्हारै ई मांय गमियोड़ै किणी आंटै-टेढै मारग माथै
म्हारी आंतड़ियां रै हवा-महल सामीं ऊभी
थूं तिरसाई मरै
म्हारो छोलियोड़ो संतरो चूसतां
थारै रूं-रूं मिसरी घुळै
म्हारी छाती मांय अजेस
अणगिण वै पीळी दड़ियां दड़बडै।
म्हैं सवार
सगळै पूगूं म्हारै मन-मतै।
नीं पूगूं तो नीं पूगूं
थारै लग
थारी ओळूं रै आखै अणंत
केड़ो घांदो?
के थूं ई नी लाधै?
काळ में छोडां री गळाई
म्हैं फगत चूसूं
ओ नीं हूवण में थारो इकलंग हूवणो
म्हारी जिनगाणी री आ केड़ी शर्त
म्हारी मिरतू—
नितुगै थारी ओळूं में ओ मरणो
म्हारी मिरतू रो अेकूको सरंजाम
थारी ओळूं री आ अखूट आक्सीजन
म्हारै बस परबार
उडावै जकी म्हारी सांसां रो बियाण
म्हैं सवार
पूगणो चावूं अेड़ी ठौड़
जठै नीं हुवै थारी ओळूं रो देस
जठै नीं हुवै थारी ओळू रो काळ...
जाणतो थको ई
ओळूं में झिलियां पछै,
मुगती रो सुपनो झूठो
म्हैं सवार
म्हारै बियाण सूं मुगती चावूं।