कदै कांकरां रौ कलेवौ

कदै मोत्यां रै चुग्गै में

सरप री सांकळ

विसैला छत्तीस पकवांण

मरियां पैली मौत रौ

अणभव

म्हांरा दिन अर रात अेक सरीसा

कुण सूळी में पोय न्हाकियौ

जमारौ

किण पोळ जाय ढ़बसी

दैनगी रौ धारौ

जद पेटा री बात होठां आवै

हमदरदी रौ विणज करण वाळा

वद-वद धीजौ बंधावै

पण भूकौ तौ फगत

धायां पतीजै

जिण री छींया भेट्यां पाप लागै

म्हैं वां री हाजरी साजूं

जिण रै मूंडा में बिच्छू-कंसळावा सळफळावै

म्हैं वां रा अैसांण मानूं

अर अेक चमगूंग टाबर री गळाई

वीं रमेकड़ा नै देखूं

जिकौ कदै साबत हो

पण अबै तूट’र म्हांरै हाडां रळग्यौ

नै अथाग विखै रै धुंवै में ढ़ळग्यौ।

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकासण, जयपुर
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