घर-घर में फरुखै धजा

धरम री नीं

वास्तुसास्तर री!

टोटका बतावै

सुखी जीवण रा

नित नवा जोतसी!

तो इज कोठ्यां स्है'र री

सांस नीं लेवै...

सराप दियोड़ो-सो जमारो

जाणै बुत होयग्यो।

स्रोत
  • पोथी : अंतस दीठ ,
  • सिरजक : रचना शेखावत ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन,जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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