ऊंधा गोडा घाल खोजग्या छाती ऊपर मूंग दळे

जलम हुयो जद ठर् ‌यो काळजो, बेटे री खुसियां भायी,

गोठां उडी महफलां लागी, खर्च-वर्च री छिब छाई,

दियो इनाम बधायां बांटी, बीं करणी रो फर्ज फळे,

ऊंधा गोडा घाल खोजग्या छाती ऊपर मूंग दळे।

खुद दुख पाय पोखियो टाबर, नीः नीः थोक किया सारा,

बारह वर्ष पढायो जी भर, अर्थ-गर्थ खोया न्यारा,

मनरी रळी गळी में गमगी, नित्त बाथेड़ो घणी कळे,

ऊंधा गोडा घाल खोजग्या, छाती ऊपर मूंग दळे।

घुड़ले मान बीनणी मिलगी, बनो, बनी रच-पच डोले,

बूढ़ा मायत पड़ो धहड़ में, वे मतलब छाती छोले,

तिस्सा भूखा, खुणे खचूणे, दुख दर्दो में सड़े गळे,

ऊधा गोडा घाल खोजग्या, छाती ऊपर मूंग दळे।

चलती बहू ठोकरां मारे, चोटी में बटको बोड़े,

बांट किड़किड़ा भरे जहीड़ा, भिडे कहे कान फोड़े,

बळ-जळ सासू हुवे भुरड़ को, केवा काढे बहू तळे,

ऊधा गोडा घाल खोजग्या, छाती ऊपर मूंग दळे।

आखी ऊमर करी कमाई, सांस लियो नहीं पी पाणी,

सूंपी चाबी पूत परायो, इः बातां पण नीः जाणी,

मांग कियां कद मिले मोतडी, डावी डोढी आय टळे,

ऊंधा गोडा घाल खोजग्या, छाती ऊपर मूंग दळे।

पुत्तर खातर तरसे दुनियां, टूणा-टामण सेंग करे,

वैद हकीमां रा पग पूजे, कहवे जितरा थोक करे,

पूत कपूत हुयों दुख भारी, बिना वास्ते खून वळे,

ऊंधा गोडा घाल खोजग्या, छाती ऊपर मूंग दळे।

स्रोत
  • पोथी : गुणवन्ती ,
  • सिरजक : कान्ह महर्षि
जुड़्योड़ा विसै