मां री कूख

आयोड़ो जीव

कद सोची ही

कै कन्या होवणो

भौत बड़ौ अपराध है?

पण आज

जद तथाकथित आधुनिक माईत

सोनाग्राफी करा'र—

कन्या है

ठाह पड़्या पछै

उणमैं मारण नै त्यार होयग्या

जणां उण जीव

दुनिया रा सगळा जीवां नैं

आपरो सनेसो दियो—

हे दुनियां रा जीवां अर देवतावां!

इण कळजुग मांय

जे थे चावो हो

धरती पर आवणो

तो थांनै लेणी पड़सी सरण

माछली

वराह

का फेर कच्छप रै

भेख मांय जलमण री।

क्यूं कै—

मिनखा-देही मांय

देवतावां नैं जलम देवै

बिसी मां अबै कठै?

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : गीता सामौर ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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