(अेक)

सांच रै सींग व्हेवै
तीखा अर अणियाळा
जबर अर रुपाळा
सांड रै सींगा री तरै
उणां नै पैचाणणौ
सोरौ नीं है

वै नीं काढै
आंतड़िया बारै
वै घुसै वठै सूं
नीं निकळ्या करै है
रगत री अेक बूंद भी
कोई नीं मर्‌यो है
आज तांई सांच रै
सींगा सूं।
पण इण रौ
औ अरथ कियां लगा सकां
क सांच रा सींग
मार नीं करै
सांच रै सींगां रा
घाव रै सींगां रा
घाव पीढ़ियां तांई
कठै भरै?


(दो)

सांच हाथी दांत
माथै मंडियोड़ौ फूल व्हेतौ
तौ लोगां रै
ड्राइंग रूम री
सोभा बढावतौ
पण औ तो है
हाथीदांत मांय
अटकियोड़ौ फूल
फूल रै सागै
डाळ भी है अर पत्ता भी
सांच आपरै पूरै
परिवेस में दीसै है।

मदमस्त हाथी रै
दांतां टिकियोड़ै
इण सांच नै कुण बतळावै?
किण री मां
सवा सेर सूंठ खाई है
जिकौ इण काळ-दंत
माथै धरियोड़ै
पुसब सूं निज रौ,
निजता रौ
सिणगार करै?

स्रोत
  • पोथी : अंवेर ,
  • सिरजक : भगवतीलाल व्यास ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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