आभै ऊपर सूळी लटक्योड़ै
हत्यारै ज्यूं हुवै
प्रेमी री रूहां रो हाल।
एक नीं,
प्रेम मांय बावळै हुयोड़ै
काळजै री कैई-कैई रूह हू ज्यावै।
बो बोल्यो मन्नै—
बा एक फूटरी कूंपळ ही
बा सैत रा कणां रै बोझ मरती
एक सैतमाखी रै इंतजार मांय
पराग नदी रो निर्झरतो फूल ही।
मैं बीनैं प्रेम करतो हो
जीयां सांवळी चीजां नै प्रेम करै है
आभै मैं लटक्योड़ो चाँद,
आसमान में खिंडयोड़ा तारा।
वो बोल्यो—
छीयां मेरी अर आत्मा तेरी
अर चांद
सांवळ रंग रो...
पळपळाट करतो चांद।