म्हैं
पड़तर रै आखिर में लिख्यौ
'बाकी स्सै कुसल-मंगळ है'
जाणू के
कागद माथै नीं मंडै
रगतहीण चैरै री रेखावां
हाडक्यां रौ तिड़कणौ
अर रोजीना रौ मरणौ
सबदां रा रामतिया
अर
जोगियां रौ तानपुरौ
अकारथ थ्यावस देवै...
उरभाण पगां फिरै
जीवण रौ बिस्वास
पर म्हैं
आखर-आखर रौ जुडाव
आंख्यां मांय भरूं।