धरती सूखी रोही रुखी, मुरझी झूंसड़ियां हरियाळी

सूखा बन-बाग-खड़ीन-खेत, पोखर-नेवांण-नदी खाली

झूपां छत लटके झेरणियां, झींकै पड़िया ऊंधा चाडा

सेळा जुड़ बणग्या सेतरियां, गाडाळां में ऊभा गाडा

खाली बिन टोघड़ियां खूंटा, बाड़ा बिन गायां रे बिलखे

गीधां बिन टोघड़ियां खूंटा, बाड़ा बिन गायां रे बिलखे

गीधां लीना हैं घेर गांव, चोफेरू हाडकियां चिलके

खूंटीजे खेत खालड़यां रा, हड्डियां री चूणीजी कलार

सारीखा सात वर्ष बीता, मरुधरती सूं रूठी मल्हार

बेवस मांणस घण ऊँठ-ढोर, नै रिस-भूख कीना बेहाल

रूठ्यो इन्दर रूठी मल्हार

आयो घिर मरू माथै अकाळ

खेतां रा काळजिया तिड़क्या, टूटी गोफण मचांण पड़गी

चुपचाप पड़ी हैं चौपाळां, मिटगी रियंण-महफल मडांण

झूंपड़ियां रे ताळा जड़िया, कूटण लागा सड़कां किसांन

रोजी खातर बेवस जुटिया, ग्रांमीणा छोड अपमांन-ग्यांन

गावड़ियां मर बेहाल किया, औधरी नी तोले बजार

मिट गई साख मांणसियां री, अब खाई आई बेसुमार

दे लूंबाळी झेरण-झोका, लेती नित मण मांखण निकाळ

ओ! पद्मण! कूट रहयी पत्थर, मेटण धरती रो महाकाळ

रख हिम्मत कांम करो मरदां, दुष्काळ कूट देसां निकाळ

रूठ्यो इन्दर, रूठी मल्हार

आयो धिर मरू माथै अकाळ

बाजै सुख में ढोलक-बाजा उलटे दिन, आवे अबखाई

कायरु डरपीजे दुखड़ां सूं, सूरा झेले सांमी-छाती

दे काढ काळ री विष-दाडां, राजस्थांनी धरती राती

दुख मिटै हाथ पसार्या सूं, भिक्षा लेणी मिट जाणों है

रख आंन-सांन ‘रांणे’ वाळी, दुनिया नै पंथ दिखाणो है

दुष्काळ कसौटी वीरां री, हीमत री कीमत भारी है

पुरसारथ रा पग पूज-पूज, मूछाळां मौत पछाड़ी है

छींणी चाले, हांसू हाले, फावड़ा म्हार नहरां निकाळ

रूठ्यो इन्दर रूठी मल्हार

आयो घिर मरू माथै अकाळ

जूंझारां रा मारग झींणा, मरुधरती में मुस्किल जीणा

पैदा कर धोरां में बाजर, पाताळ-फोड़ पांणी पीणा

हद री राखे नर हीमतड़ी, अबखायां जूंझ उखाड़ै है

मौतड़ली रा मठ मारै है, विधना रा लेख बिगाड़े है

मत्त काळ! भूल जांणै मन में, आ! धरती हारण वाली है

मरू रा रांगड़ देसी मरोड़, ली करसां हाथ कुदाळी है

मरणो मानीजे अठै मोद जौहर जगमग दीवाळी है

रगतां खेलीजे अठै फाग, माँ मरुधरती मतवाळी है

थळ चीर बह रही ‘गंग’ अठै, मरुधर बणसी मधुवन विसाल

उण दिन सूं इण धरती माथै, आवणा भूल जासी अकाळ

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली राजस्थानी भाषा साहित्य री तिमाही ,
  • सिरजक : श्यामसुन्दर ‘श्रीपत’ ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राष्टभाषा हिन्दी प्रचार समिति
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