पाप जिसी आडां नै तोड़तो,

फरच्यां नैं अकासां उछाळतो,

सींव, भींत अर कोट रै माथै कर

बध बध, लाल असवार, उडतो!

गोयां, मुकाबलां टकरावां

बैरी री सुळफुळ, घिरणा साथै

गाजै, बिजैसिरी टापां,

आडै पड़्यै जगत रै माथै।

मुक्कां माथै मुक्का मारो

दुड़ती जूनी भींतां माथै,

निरदै, नेड़ा अळघा बाजै,

घोड़ां रा खुर नाळां साथै।

निरभै उछाळो ऊंचा आगै,

व्याकळ खंख चढ़ै जद ऊंची,

अबै बखत सौ काम जमायो

खुलै अकासां ऊखा पूंची।

जणो-जणो धूंधाळ पीर सो—

आंख्यां फोरै पूरब कानी,

बर्लिन, न्यूयार्क, पैरिस में

थारी अगन झळां री का’णी।

हरख लियां, खा सूग-सौगनां

दुनिया जोवै है इचरज में

गढ़ केमलिन री लाल छांवळी

सूर उगाळी आभै सज ले।

स्रोत
  • पोथी : लेनिन काव्य कुसुमांजळी ,
  • सिरजक : वेलेरी बर्‌यूजोव ,
  • संपादक : रावत सारस्वत ,
  • प्रकाशक : राजस्थान भासा प्रचार सभा (जयपुर) ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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