मुरझावण लाग्यौ सरीर

अंधरावण लाग्यौ हेत रौ पंथ

अबै हाथां में रेत री रिगदोळ

म्हैं इण रेतड़ला नै

रतन कचोळां में भरूं

पण उम्मर आडौ ओडाळै

उणरै आंकस-ओळावां रौ

कांई करूं?

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकासण, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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