सिंझ्या भींत री ज्यूं
आडी ऊभी
अर वौ होळै-होळै
नखां सूं
वीं नागी भींत नै कुचरै
म्हैं जाणूं कै औ कुचरणौ
किणी सागै
कुचरणी नीं है
आपरै अन्तस नै उधेड़णौ है
तुरपाई रा तागा
कुदै तूटै कदै नीं तूटै
जवांनी रा पंदरा पावंडा
कळकन्तै नै देय’र
अबै ढ़ळती ऊमर
वौ आपरै गांव बाव ड़ियौ है
नै रोजीनां
इणी टेम
मांय जमियोड़ी राख नै
टंटौळै कै जिकी चिणगी
अस्टपौर
आपौ सिलगावै झांपळिया देवै
वा कठै? कुणसी पुड़त में?
वीं रै खनै अैक पोटळी
है अर वौ जूंझळ में आयां फेर
वीं नै खिडाय न्हाकै
पोटळी कांई अेक समूंचौ कुणबौ
खिंडियोड़ी
रुळियोड़ौ
आ लुगाई...खौड़ली
अै तीन टाबर
माईतां रै उणियारै
पण दूबळा पीळा
जाणैं पातड़ी-खोखा
अेक चूल्हौ
च्यार-छै बाटकियां
गाभां रा लीरड़ा
दस्तावर दुवाई री सीसी
कानां रौ मैल खुरचण वाळी सळाई
उस्तरौ भांत-भांत रा बटण कांगसिया
म्हैं नीची निजरां
वीं री पोटळी नै देखूं अर डरपूं
डर—जांणै अळसोटी में
गोयरौ है कै कळकांटियौ कै भावौ
कांई...वीं दुरभागी रै मन में डर नीं ऊपजै?
धारां में
डरियोड़ौ मिनख
सिवाळा नै हाथ घालै
पण वौ नचींत बैठयौ
उस्तरै रौ पानौ परखै
धार ऊपरांखर
आंगळी फेरै
अेक छिण खातर म्हांनै लागै
कै वा आंगळी
मौत री आंगळी है अर वौ
खुद नरक में बिसाई खांवती पलीत।
वियां म्हांनै ठा है कै दिन में
सैंकड़ी बर वौ आपरौ गळबौ
उस्तरै सूं वाढ़ै हत्तैळियां में भरै
अर धड़ नै तड़फड़ावै
वौ पलीत है कै मिनख कुण कै सकै
पण वीं रौ दु:ख वीं रौ ओचांट म्हां सूं अळगौ नीं...
सेवट वौ म्हांरौ नांवरासी है।