अेकर गांधी बाबा रै चसमा माथै

सियाळै छायगी धुंध

धकै दीसणौ मगसौ पड़ग्यौ

अर अठी-वठी भाळणौ अबखौ व्हैग्यौ।

बापू किणी नै कीं नीं कह्यौ

थोड़ी ताळ थिर रह्या

कदास वै भावी रौ सपनौ देखता छा

कांई छौ वांरी दीठ में

कोई नीं जांणै!

पाठकां!

गांधी री निजर गजब री छी

वै जद चावता देख लेवता

पताळ री पुड़तां फोड़।

वै देख लेवता

म्हारौ सुख छै

देस रौ दुख छै

अठै म्हैं जीतियौ

अठै देस हारियो छै

वै हरमेस हरेक ठौड़ देस रौ बिखौ देख

आपरै चसमा रा काच पूंछता

जांणै वै बिखौ पूंछता व्है।

मिनख जांणता वै सपनौ देखै

पण वै चसमा रै बिना

जथारथ जोय लेवता।

कीं बावळा लोग कैवता

मसीन री खिलाफत करणवाळौ गांधी

खुद चसमौ लगावै!

गांधी बोलाबाला रैय, कैवै-

म्हैं कदैई कांम री चीज री

खिलाफत नीं करी

सिड़ाई री मसीन व्हौ के चसमौ

लोगां रै अरथै आवणौ चाईजै।

वै आपरौ चस्मौ पैर्‌यां बिना

कैवता-

बस, फगत इत्तौ व्है जावै

जिकौ म्हारौ सुख छै

वौ देस रौ सुख व्है जावै

अर जठै-कठै म्हैं जीतियौ

वठै देस जीत जावै!

मसीनां जावै भाड़ में!!

स्रोत
  • पोथी : अबोला ओळबा ,
  • सिरजक : चन्द्रप्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : सर्जना, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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