रातां जूण रो
बो सोग है,
जिकै रो दुख
जी भर’र,
बिलाप कर्या पाछै भी
निवड़ै नीं है।
बो उपहार है,
जिको उणनै कदैई
चईजतो ई नीं हो
जिणरी जरूरत ई नीं हुंवती
पण फेर भी
संभाळ’र
राखणो पड़ रैयो है।