अबैं नी घुळीजै रंग

म्हारली आँख्याँ मांय

न्यारा-न्यारा

ओळखीजग्या

सगळा उणियारा!

बदळीजग्यो है सगळो

ढँगढ़ाळो

रंग फीका पड़’र

उड़ग्या

बिदरंग सरीखो दरसाव

धुंधळायै मन मांय

रंगां रै होवण री पीड़

भंबूळियो बण’र ऊपड़ै

मांयली डूंगांण

रंग है कोनी ई!

जणा

कियाँ बतावूं

कुणसो रंग भावै?

म्हारलो ढंग देख’र

बात समझ क्यूं नी आवै!

भाषा कथै के रो के

भाषाविहूंण मन मांय

रंगां-तणो नांव नी होवै

भाषा’र भाषाबिहूणतायी

नांव-तणी झोड़

निजु’र परायै-तणो

अधकलो बखाण!

रंग

आपरी ठौड़ है

रैसी-ई

रंगां सूं परबारो है कोई

जिणनै टंटळूं!

अेक अनाम रंग नै घोळूं

स्यात्

मैं निज री पीड़ा नै

पंपोळूं!

अबै घुळीजै जिको रंग

म्हारली आंख्याँ मांय

बो है

सगळां रै उणियार

सगळा रंग

अबै अेकरंग है!

स्रोत
  • पोथी : कूख-पड़यै री पीड़ ,
  • सिरजक : किशोर कल्पनाकान्त ,
  • प्रकाशक : कल्पना लोक प्रकाशन
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