मणकां की

माळा फेरतां-फेरतां

जुग बीतग्या

मिल्या भगवान...

राम नांव रटतां-रटतां

मरा-मरा बोल

पळटग्या...

जीवन की आट्यां में

हाथां में मणका

चालता तो फिरै पण,

मन का मणका की माळा

झूठो जंजाळ

छूटतो फिरै

हे म्हारा राम..!

स्रोत
  • सिरजक : मंजू किशोर 'रश्मि' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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