बै दोनूं

सगा भाई हा

पण झगड़ता

घणा ही

झगड़ता

बंटवारा सारू

एक कैवतो

खेत

कोनी दूं

दूजो कैवतो

बो खेत

कोनी लूं

विवाद

बधतौ गयौ

मुकदमा चाल्या

झूठा-साचा

मुकदमा अर मुकदमा

पेशी अर पेशी

बर्बादी अर बर्बादी

आखिर

एक दिन

करणो पड़्यौ

राजीपो

गांव रा गुवाड़ में

बैठ’र।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत जनवरी 1996 ,
  • सिरजक : राणुसिंह राजपुरोहित ,
  • संपादक : गोरधनसिंह शेखावत ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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