कीरत खंभ चितौड़ धरा रौ,

जोर जबर है देखण जोगौ।

हरसण हो दरसण परसण सूं,

कीरत खंभां में है छोगौ॥

भरतपुर रौ अभै अरण है,

देखण सारु आवै जातरी।

बिचरै पसु इत कई तरां रा,

नसलां बांरी भांत भांत री॥

देखण जोगौ जोधाणै रौ,

भाखर माथै छितर बंगलौ।

कमधजां री बातां बतावै,

जुद्धां तोपां सासण खड़्ग लौं॥

रणथंभोर रौ दुरग ऊभौ,

आंण मांण रौ घणौ मोहिलौ।

रांण हमीर रौ गढ बांकौ,

स्वामी इणरौ घणौ हठीलौ॥

डीडवाणौ तिलवाड़ौ भळै,

परबतसर पुस्कर है मेळा।

भांत भांत रा रासु लाईजै,

लाखां मिनख व्है इत भेळा॥

जळ महल जळ मांय बण्योड़ौ,

उदियापुर री झील देखलौ।

जुद्ध करियौ पातळ कानी सूं,

बै बसियोड़ा भील देखलौ॥

जुद्ध हुयौ हळदीघाटी रौ,

बा घाटी देख्यां बण आवै।

सूरा कटग्या रज रै खातर,

सिर जावै पण पण नीं जावै॥

मसहूर ओसियां रौ मींदर,

दरगाह प्रसिद्ध है अजमेर।

पसुधण परसिध मालाणी औ,

भुजिया सांतरा बीकानेर॥

कळा मींदर किराड़ू चौखौ,

आबू पर्वत जबरौ ऊंचौ।

सजड़ सांतरौ दुर्ग सीवाणौ,

देख्यां होवै घणौ अचूंभौ॥

जंतर मंतर जैपुर देखौ,

मेड़ते में मेड़तणी मिंदर।

भाखर तौ आबू रौ देखौ,

दांनी बणनै बूठै इंदर॥

भीनमाळी पगरखी चौखी,

चूनड़ चौखी सांगानेरी।

मारू मरु देस रा चौखा,

कांमण चौखी बीकानेरी॥

तरवार सिरोही री चौखी,

घीरत चौखौ जैसलमेरी।

भैंसी तौ भुज री पण चौखी,

गाय घणी चौखी सांचौरी॥

अरबी अस असवां में चौखौ,

जाखोड़ौ रूड़ौ जैसाणौ।

सांभर री तौ झील सांतरी,

बळदां नै नांमी नागाणौ॥

खरबूजौ पाली रौ चौखौ,

मतीरै नै भलौ बीकाणौ।

बाजरियौ सेखावाटी रौ,

पट्टू घणौ चौखौ बाडाणौ॥

बन्द गळ रौ कोट जोधपुरी,

है आखी दुनियां में चावौ।

सोन हलवौ अजमेर चौखौ,

बाड़मेर रौ चौखौ मावौ॥

राजस्थानी संस्कति री,

अै चीजां सै सूं सिरमौड़।

आखी दुनियां अंजसै इणनै,

इणसूं किणरी हुवै होड॥

स्रोत
  • पोथी : ऊंडी दीठ ,
  • सिरजक : अस्त अली खां मलकांण ,
  • प्रकाशक : आमना प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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