आंख री इक बूंद हां, इण रेत रै गालां माथै।

धुर तप्पतां तावड़ा अर, लू'य री लपटां'ज साथै॥

नीर रा सांसा पड़ै, कुण सुणै रै मामलौ।

आज हूं बोलूं'ज ढाणी, राजमहलां सांभळौ॥

जी आज म्हांनै सांभळौ॥

बाजरी रौ कोठ खाली, अेक नी हाळ है।

अेक छप्पर, अेक छाळी, बै'य भूखा बाळ है॥,

अेक भाणौ, अेक चड़सी, अेक गोधौ हाकलां।

आज हूं बोलूं'ज ढ़ाणी, राजमहलां सांभळौ॥

जी आज म्हांनै सांभळौ॥

राज थारै नम गळीचा, म्हारै फाटी रालकी है।

म्हारै पेंडौ पांच कोसी, राज थारै पाळकी है॥

राज थारै भोग छप्पन, म्हारै भूती बाकळौ।

आज हूं बोलूं'ज ढ़ाणी, राजमहलां सांभळौ॥

जी आज म्हां सांभळौ॥

चोरटां नै जाय देखौ, कुंगरां में कूड़ है।

माल रा बांध्या'ज भारा, धाप बांधी धूड़ है॥

छेरू जण्या म्हैं सांच रा, पर मरण रौ पांपळौ।

आज हूं बोलूं'ज ढ़ाणी, राजमहलां सांभळौ॥

जी आज म्हांनै सांभळौ॥

होड कद ना होवसी, म्हारी अणूठी रीत है।

थारै कमाई खोट री, म्हारी पसीनै प्रीत है॥

झूंपड़ां री कीरतां है, कूंगरां ने कुण नमेळौ

आज हूं बोलूं'ज ढ़ाणी, राजमहलां सांभळौ॥

जी आज म्हां सांभळौ॥

स्रोत
  • पोथी : डांडी रौ उथळाव ,
  • सिरजक : तेजस मुंगेरिया ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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