इण दिस सुख री पड़ी झांई,

राज बदळग्यौ म्हांनै कांई?

नेता कैवै राज आपणौ, अंगरेजां सूं लैर छूटगी,

साधक घोखै निमौ नारायण, दुख दाळद री नाड़ टूटगी।

बाण्यां रै पौबारां पड़गी, पौरायत री आंख फूटगी,

गोबरिया भांबी रै घर सूं, भर्या पेट री याद रूठगी।

साधक जीमै दूध मळाई, गोबर कूकै म्हांनै कांई?

भण्या-गुण्या भगतां में भिळग्या, बड़ौ हुकम खादी में बड़ग्यौ,

नेता री निबळाई लारै, मुजराखोर मुसायब पड़ग्यौ।

देसभगत चीराय आंगळी, बण जूंझार सिरां पर चढ़ग्यौ,

हळ-धण खड़तौ आडौ बेली, बोझौ झेल जमीं में गड़ग्यौ।

नवा साब नै खीर निंवाई, बढियौ झींकै म्हांनै कांई?

गांधीजी री फौज बिखरगी, तेरा तीन हुवा भायेला,

चंदा-चोर चढ्या सिर ऊपर, फन्दाखोर हुवा सब भैळा।

धंधाखोर धाड़वी बणग्या, सूदखोर नित करै झमेला,

रणबंका नर कियौ किनारौ, आगीवांण हुया मदगैला।

नेताजी रै मोटर आई, नूर्यौ बांगै म्हांनै कांई?

जनसेवक मूरतियां बणग्या, निवड़्या ना'र जीव रा काचा,

खेत गमाय किया हाथां सूं, सिटपिटियां रा सपना सांचा।

गैणै पड़ी कमाऊ दुनियां, कलस सेठ रा खाय तमाचा,

बाबूजी दो दिन सूं निरणां, सूखौ पेट, बैठग्या बाचा।

कुंवर सेठ रा खाय मळाई, मुन्नौ रोवै म्हांनै कांई?

दस पीढ़ी री खरी कमाई, कांगरेस बांण्यां रै बिकगी,

धन-लालच सूं जन नेता री, मझ खेतां में गोडी टिकगी।

नकद नफै री भरम भाड़ में, कमतरियां री काया सिकगी,

पिंडतजी पोथी नै पटकै, बेमाता खत खोटा लिखगी।

आडम्बर नै भेंट सवाई, जनता जोवै म्हांनै कांई?

कूड़ कपट कण-कण में रमग्या, भली चाल भांडां में मिळगी,

कमतरियां री कठण कमाई, बाण्यां री डाढ़ां में झिळगी।

रुळता फिरै समझण सांवत, अणबूझां नै गादी मिळगी,

धन वाळां री धींग धाक सूं, बळवालां री जीभ निकळगी।

सेठां रै घर नकद कमाई, लोक उडीकै म्हांनै कांई?

स्रोत
  • पोथी : गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद' व्यक्तित्व कृतित्व ,
  • सिरजक : गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद' ,
  • संपादक : लक्ष्मीकांत व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार ,
  • संस्करण : 1
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