फागण रै रात री

उणींदी चानणी सी

कुवांरा होटां री

अणबुझी

अछेही तिरस सी

गीत रै मांय

हिबोळा खावती

गळगळी पीड़ सी

रूपाळी देह माथै

जोबन री चढ़ती पाण सी

डूंगर रै साथै

छानै-छानै

पसरीजता गुलाबी उजास सी

बरफ सूं ठरियोड़ी रात में

निवायो परस सी

मन रै गळियारै में

कबूल करियोडा

सबदां री छेली सींव माथै

सूंप्योड़ा छिण सी।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी-1 ,
  • सिरजक : गोरधन सिंह शेखावत ,
  • संपादक : तेजसिंह जोधा
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