प्रीत बिना क्यांरी जिनगानी

अैळी जावै उमर जुवानी।

होठ फरूकै बोल पावै

मन री मन में रह जावै

गीत बिना क्यांरी जिनगानी

जीवै गुपचुप छानी-मानी

प्रीत बिना क्यांरी जिनगानी

मन री चीत बतावै किणनै

तन रौ बींत बिंतावै किणनै

मीत बिना क्यांरी जिनगानी

मरम कियां जाणै नादानी

प्रीत बिना क्यारी जिनगानी

जूण-जुध है इबछळ यारौ

जग रौ तौ ऊधौ धारौ

जीत बिना क्यारी जिनगानी

हारयां कुण करै मिजमानी

प्रीत बिना क्यारी जिनगानी

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : किशोर कल्पनाकांत ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा
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