जागूं जणै—

उजास हुय जावै

उजास, जीवण है।

अंधारो हुवै जणै—

नींद जावै

नींद, मिरतु है।

लिखू जणै—

अकास हुय जावूं

अकास, मन है।

सोवूं जणै—

सुपना आवै

सुपना, अकास है।

मिंदर जावूं जणै—

अरदास करूं

अरदास, पछतावो है।

नीं पड़ै पार जणै—

रीस आवै

रीस, अंतस रो डर है।

उजास— नींद

अकास— सुपना

अरदास— रीस

आं सगळां नै

भेळा कर

जीवूं जीवण।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : राजेश कुमार व्यास ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
जुड़्योड़ा विसै