आभै मांय आभा रै नीचै

ऊँचै, बीच में

जठै-कठै होवै थारो बासो

अै अकाळ देव!

म्हैं थांनै निंवू!!

अेकर तो ओढाव हरियळ ओढणो

जांमण जमीं नैं अणूतो व्हालो ओढणो...

संपूरण म्हैं निवूं मन सूं निवूं

उजळी मनस्यावां सागै

निरमळा चित्त सूं निवूं

छिनेक ताळ तो निरखण दै प्रथमी नैं सिंणगार

मादा जीवां रै जीव री जड़ी होवै बणाव-ठणाव।

म्हैं निवूं थनै उण भांत

जिण भांत हथियार न्हाख्योड़ी

फोजां री गळाई

वनापात्ति मुरझाय’र

जमीं माथै लोट-लोट थनै

आपरी डाळ्यां सूं करै सास्टांग,

इती लांठी गुरदखणा मत मांग देव...

भख लैण सूं पैली

कदैई तो पूछ वांरी छेहली मंसा,

फांसी वाळा कैदियां री गळांई

कीं आवळ-कावळ नीं मांग

मांगैला बापड़ा

स्यात अेकर मुळक वपरावणो

देव! थूं जै हंस नीं सकै

अपूणे रेय थोड़ी ताळ

म्हांनै तो हंसण दै बापजी।

देव!

थूं अदीठ पण मगरा जित्तो लांठो

आयां पछै धकै सरकण में घणो मांठो,

बायरा दाकळ पण मांणी बंद बोझाळू

डांमणो चावूं थारो डील पण कठै डांमूं!

जठै-जठै व्है थारो मोटौ पगफेरौ

सफाचट होवै सगळी जिसां रो घेरो

अेक अजोगती लाय सूं बाळै

जमीं रो रूं-रूं

खेंखाड़ पाड़ता बायरा सागै।

मिनखां नै थूं इत्तो होळै-होळै बाळै

बाळै कांई देव जीवता दगझाळै

ऊभसूख होवता रूंख दाकळ

बोलो-बोलो मरतो मिनख

सिण-फिण आपरै खोळियै सूं घणो बारै मरै,

देव!

भरांकड़ा माथै कर निसरतो

थूं जद भरै बींद पगल्या

सगळा जीवता जीव मनोमन।

मनोग्याना मानलै, जाण लै

क’ अबकै तोरण वांरै डील माथै वांदैला

अर चवड़ै धाड़ै, धोळै दोपारां

मन मांडाणी परण जावैला थूं

वांरी आतमा सागै!

देव...कदेई भूल सूं सई,

निभाय नै तौ देख गठजोड़ा री कांण

मिनखां नै मत बणाव जीवता मसांण...

थूं देव!

अवतर जा आपोआप

मिनखां रै अणूंती आफळ सूं खोद्योड़ै बेरै मांय

पांणी सूं पैली,

तळावां, नाडियां, नाळां, परनाळां

पोखरां-पोखरां खेलै खेतरपाळ

भिड़ै तौ इन्दर राजा सूं

अर दुसमणी काढै बापड़ा

अभ्यागत जीवता जीवां सूं काळ!

थूं सांड दाकळ

भिड़कै राता री ठौड़, हर्या रंग सूं स्यात

देव! हर्यो रंग तौ जीवण रो रंग है

जीवण नै थूं जीवै पछै कांई ढंग है...

देव! अै जबरा देव...

थारा सूं सब छोटा देव,

मानै तो छेहली अरदास

पूरण कर दे मन री आस

मारै तो अेकण सागै मार-मूर नकी करदै

नींतर म्हांरी रोज रोज री कांयस

अर थारै नित-नित आण-जांण रो दंद-फंद

थोड़ौ मोळो पड़ जावै

इण सारू आवण रो वार-तिथ पक्की कर दै।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली राजस्थानी भाषा साहित्य री तिमाही ,
  • सिरजक : चन्द्र प्रकाश देवल ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राष्टभाषा हिन्दी प्रचार समिति
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