बीजी भासा सूं

बांथेड़ा करतो

लिखूं

आखो जग।

मांडूं

जूण- जातरा चितराम

बाळपणै बीज्योड़ी

म्हारी मायड़ भासा रै पाण।

बांचण आळा कैवै—

थां कनै सबदां री सौरम है

लिखण रो फूटरोपण है।

संकै सूं गडतो

निंवण करूं

थनै मां।

म्हारो नीं—

जस है

मायड़ भासा रा

अंगेज्योड़ा सबदां रो।

स्रोत
  • पोथी : दीठ रै पार ,
  • सिरजक : राजेश कुमार व्यास ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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