भींत्यां पर

ठुक्यौङा

सबद

ओळी दोळी

उदासी पसरावता

जाणै औरै सूं झांकै

कैवै,

किवाङ ना खोल

हाका ना कर

पित्तर सोवै

जाग जासी।

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो 2016 ,
  • सिरजक : राजेश कुमार व्यास ,
  • संपादक : नागराज शर्मा ,
  • प्रकाशक : बिणजारो प्रकाशन पिलानी
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