भींत्यां पर
ठुक्यौङा
सबद
ओळी दोळी
उदासी पसरावता
जाणै औरै सूं झांकै
कैवै,
किवाङ ना खोल
हाका ना कर
पित्तर सोवै
जाग जासी।