घर सूं निकळणो
फगत हुवै नीं है
कठै जावणो
अर
जाय’र आवणो।
फरक है
लुगायां जद घर सूं निकळे
तो निजरां में रैवै
बणै है कथावां
कीं आवळ-कावळ कथाण
रोजीना जुड़ै है
अेक नूंवी बात
लुगाइयां
इण गतागम में
निसार देवै
आखी जूण
कै मोड़ो हुवण पर
कीं तो देयसी पडूत्तर।