उदासियां बोवैगा तो
उदासियां ही काटैगा
ओळातियां को पाणी
मंगरै थोड़ी चढै छै
बगत-बगत का मोती छै
बगत कदी फेर होग्या कथीर
कालचिड़ो चुग जावै छै।
सारा का सारा नोँसर-हार
सारो जीवण
देखतां-देखतां ई
फेर कतनी ही सांच द्वाओ
कोई नं मानै
हथेळियां पर कंतना ई
उगवा लो अमलतास
पण जहरीला पाणी सूं
नीं आवै सौरम का फूल
च्यारूंमेर फिर देखलो
सारा का सारा जग मं
प्रेम मं ई छै वां ताकत
जो समरथ नै बी झुकबा नै
मजबूर कर दे छै
नीं तो कठै सुदामा मं
ताकत छी किसन सूं
पग पखारण री अर
सूखा चावल ख्वाबा की
छप्पन भोग नै छुड़ा’र,
विदुर को लीलो स्याग ख्वाबा की
थूं अब भी नीं समझै तो थूं जाणै
प्रेम तो खेल छै समरपण रो
लोक लाज छोडबा रो
जस्या रुकमणी छोड़ आई छी
अर राधा नं तज दी छी लाज
देख मीरा बावळी होगी
ले मंजीरा
अस्या ई म्हनै बी
तज दी लाज की चूंदड़ी।