अैक अण चीतै हरख अर उमाब में

थूं उडी कै चढ़ खुलै चौबारे,

सांमी खुलतै मारग माथै

अटक्योडी रैवै अबोली दीठ,

पिछांणी पगथळियां री सौरम

सरसै मन रा मरुथळ में,

हेत भरियै हियै उगेरै अमीणा गीत

अणदीठी कुरजां रै नांव

संभळावै झीणांसनेसा!

हथाळयांराची मेहंदी

अर गैरूं-वरणै आभै में

चितारै उलूणै उणियारै री पोळ

भीगी पलकांसूं पुचकारै हिलतौ पालणौ!

आंगणै अधबीच ऊभी निरखे

चिड़कलियां री रळियावणी रम्मत-

माळां बावड़ता पाछा पंखेरू,

छाजांसूं उड़ावै काळा काग

आथमतै दिन में सोधै सायब री सैनांणी!

च्यारूंकूंटामें गरणावै गाढ़ो मून

काळजै री कोरां में झबकै ओलूंरो बिजळियां

सोपौ पड़ियोड़ी बस्ती में थूं जागै आखी रैण

पसवाड़ा फेरै धरती रै पथरणै!

धीजै री धोराऊ पाळां

ऊगता रैवै अेक लीली आस रा सूया

बरसता मेहूड़ा री छांट

मिळ जावै नेह रा रळकता रेलां में!

पण नेह मांगै नीड़

जमीं चाईजै ऊभौ रैवण नै

घर में ऊंघा पड़िया है खाली ठांव

भखारयां सूनी बूंकावे खुला करनाळा-

जीवणअबखौ अर करडौ है भौळा नार

किरची-किरची व्है जावै सपनां रा घर कोल्या:

वा हंसता फूलां री सोवन क्यार

वौ अपणौस गार-माटी री गीली भींतां रौ

वा मोत्यां-मूंघी मूळक-हीयै रौ उमावौ

-जावौ बालम परदेसां सिधावौ!

थूं उडीकै जीवण री इणी ढाळ

रेत में रळ जावै सगळी उम्मीदां!

जिण आस में काढै आखौ बरस

वा कूड़ी पड़ जावै सेवट सांपरतां

परदेसां री परकमा रौ इत्तौ मूंघौ मोल-

आदमी री कीमत कूं तीजै खुलै बजारां!

सांची है के

परदेसां कमावै थारौ पीव

अर आखी ऊमर

जीवै थूं परदेसां परबारै!

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : नन्द भारद्वाज ,
  • संपादक : तेज सिंघ जोधा