कुण जाणै पीड़ काळज्यै री

जद उठै लाय री झाळ अठै।

दिन रात पच्यो बो खेतां में

रगत डील रो गाळ जठै।

माटी नै पूजै मां करनै

दिन रात करै संभाळ जठै।

धोळपोसिया के जाण

मत छेड़ो बैठ्यो काळ अठै।

चिपगी है चाम हाडकां

बो किरसो करै कमाल अठै।

माटी में खोद कब्र गाडै

जे खेतां जागगी झाळ अठै।

कानून बणा थे खोस सको

आं खेता बैठ्या लाल अठै।

जो रगत मिलावै माटी में

बो किरसो काटसी नाड़ अठै।

खेत नई, है मां म्हारी

नी काढण द्‌याला गाळ अठै।

मद सत्ता रो जे है थारै

तोड़ांला बीच बजार अठै।

पग मेलां ला नीं पाछा अब

काटां नीं सै जंजाळ जठै।

थे धनपतियां रा गोला हो

नीं गळण देवां थारी दाळ अठै।

स्रोत
  • पोथी : कथेसर ,
  • सिरजक : प्रहलाद राय पारीक
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