म्हारो हिन्दुस्तान है

ऊभो सीनो तान है

सान्ति अर सुख जग में चावे

रण थोपै ले ले जान है

म्हारो हिन्दुस्तान है॥

ग्यान जोत जळावै है

जगद्गुरु कहलावै है

सब सूं पैली आगै बढ़'न

जग नै मारग दिखावै है

चा सब हित बण्यौ महान है

म्हारो हिन्दुस्तान है॥

संस्करती गरब वाळौ है

संस्कार सिरजन वाळौ है

अनोखा वीरां वाळौ है

निराळा संतां वाळौ है

आदरस भर् या कल्याण है

म्हारो हिन्दुस्तान है॥

आतम-निरभर पैचान है

अठै सैंग धरम समान है

जनतंत्र रौ गजब मान है

रितुवां कुदरत वरदान है

म्हारो हिन्दुस्तान है॥

वर वास्तु-कला विग्यान है

सास्त्री संगीत सुभान है

श्रेष्ठ ग्रंथ वेद पुराण है

तुवांरां करसी परधान है

हिमाळै मौड़ सिर स्थान है

म्हारो हिन्दुस्तान है॥

अठै लेय प्रभु औतार है

उण रा बचन जगत सार है

पवितर-सगती धरती है

हियै प्रेम-भगती भरती है

भू राम-किरसन अभिमान है

म्हारो हिन्दुस्तान है॥

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : गणपत सिंह ‘मुग्धेश’
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