म्हारो यो देस कणी वगत मअे

पूरी दुनिया नैं ज्ञान वांटतू हतू

अर पइसा टका मअे

होना नी चकली क्हैवातू हतू

पण आजै।

आयं’ज हेरवा वाळै थोड़क मनखं अै

वणी चकली नैं रंगी काळी करी दीधी है

अर ग्यान नी चोपड़ियै

उदाई नै भरोसै मेली

मोटी-मोटी अेलमारियं मअे भरी दीधी है।

म्हारा देस ना मोटियार

जे कारै रांघड़ाई नी मिसाल हता

सांचाई अर ईमानदारी नी मसाल हता

आजै

वी पाप नी वेतरणी मअे तणाईया है

अर पॉप संगीत ना हाकाहूक मअे खोवाईरया है

अणा देस ना रूंख नो वायरो

मेहर बाबा अर वादळं नी घड़घड़ाहट

चोमासा नैं छांट नी सनसनाहट

अेम कई रही है के

वी हरीदास अर तानसेन नी ताने क्यं गई

रहीम अर रसखान नी क्रिस्ण भक्ति नूं हूं थ्यू

कबीर अर रसखान नी क्रिस्ण भक्ति नूं हुं थ्यू

कबीर अर नानक नी वाणी संभळाती न्हें है

इकबाल अर नजीर नी गजलै गवाती न्हें है

च्यारै बाजू वाजीरया है ज्हैरीला वायरा

स्वारथ नं समन्दर हेलोरै चढंय है

अर मोटियार?

टुकुर-टुकुर ताकीरया है

अर डिस्को ना नाम माथै

ऊभा-ऊभा डाकीरया है

भारतमाता

हाका करी करीनै हादी रई है

कै डाकवा ना दन अबार न्हें आव्या है

अे वैंडो जागो अर ऊभा थो

हाथं मअे मेहनत नी मसाल हाईलो

देस नैं आसूदो बणाब्बा ना होगन खाईलो

म्हारै सामूं टेढी नजर करवा वारं ना

डईया कड़ी नाखो

हे भागीरथों

अमन नी गंगा पाछी लई आवो

तो तो आववा वारी जूण ना

तमें देवता वाजोगा

अर वा तमारै काम नैं पूजेगा

अर सदियं सुधी तमारू नाम

पूरी दुनिया मअे गूंजेगा

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : उपेन्द्र ‘अणु’ ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी संस्कृति पीठ, राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति
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