चारूंमेर धुंओ
तोपां सूं निकळती
बळबळती लपटां
घमाका अर धमाका
धूजती धरती
कांपतो आभौ
पांगळों पून
अर आंधौ सूरज।
नीं चाहिजै
अन्न-वस्त्र
सोनो-चांदी
मेल-माळिया
सिंघासण-राजमुकुट
कीं नीं चाहिजै
चाहिजै सांस
लेवण सारू
मुट्ठी भर वायरो
सूखते गळै ने
जीवणदान सारूं
एक धोबो निरमळ जळ
पण कठै है वायरो
कठै है जळ?
रूंखां रा सगळा पांन
झुळस गया
सांव उघाड़ी व्हैगी
साखावां
जळ में घुळगी है
थारी जुद्ध-लिप्सा
जे संसार में कठैई
नरक है तो
अठै है, अठै है
इण रण भीम में।
सुख-सायंती
सभ्यता-संस्किरती
मान-मरजादा
कला-कोसल
नेम-धरम
कितरा बोदा सबद
जणावै है
जिण घड़ी दुसमण
रो हवाई जहाज
थारै सुपना रा
सितौलिया माथै
मौत री दड़ी
मार’र अदीठ व्है जावै।
मायड़ री गोद
जिसी खायां में
लुकतां छिपतां भी
कितरी ई सेजां
सूनी व्है जावै
कितरा ई नैणां में
अणथक आंसू
अर हिये में
उडीकती हिचकियां
छोड़ जावै
एक अखण्ड अंधारौ
पसर जावै
हंसती-मुळकती
जीवण री पगडंडी
सून्याड़ व्है जावै।
म्है थांसूं कद मांगी
थारी धरती
थारी सम्पत्ति
थारो ऐश्वर्य?
म्हैं मगन हो म्हारी
अणजाण दुनिया में
रूंख म्हारो घर
आकास म्हारो मारग
उडणौ म्हारो धरम
अर गीत म्हारो मरम!
म्हारो कसूर कांई हो
जो खोस लिया
अै सगळा सरंजाम
बोल मिनख
बोल!
थारै-म्हारै
किण जनम रो बैर
तूं थळचारी
म्हैं नभचारी
थारै-म्हारै
किस्यो भायां-बंट?
जुद्ध थमैला
तो जीत भी थारी
हार भी थारी
म्हैं जीत-हार रै
दुंद सूं अळघौ
फेर म्हनै किण
अपराध री सजा
देवै रे बुध-बावळा
मिनख!
जुद्ध थमेला
तो बची खुची रसद
हथियार, गोळी-बारूद
साज-समान
समेट'र तूं
मोटर में असवार
व्है जासी
अर लारे छोड़ जासी
रगत-रंग्योड़ी धूळ
नर-कंकाळ
निरपत्तर रूंख
घरां रो मळबो
टूटी सड़कां
लटकता पुळ
जेह्र री नदियां
अर नफरत रो
समंदर!
जाणै पाछा
कद पांघरसी
अै रूंख
कद चुणीजैला
म्हारी घायल
चूंच सूं तिणका
कद मंडीजेला
नूंवो घोंसलों
कद सूखेला
निरदोस रगत सूं
भीजियोड़ा म्हारा
पंख
अर कद
निमळौ व्हैसी
ओ गिगनार?