पाणी-

राखो बचाय’र

सूकग्यो धरती में जे

कीकर मिटसी तिरसा अर

सूकग्यो आंख्यां सूं जे

तो दुखड़ो कियां बताओला?

उतरग्यो

खुद रो पाणी तो

निजर कीकर मिलाओला!

स्रोत
  • पोथी : इक्कीसवीं सदी री राजस्थानी कविता ,
  • सिरजक : संजू श्रीमाली ,
  • संपादक : मंगत बादल ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
जुड़्योड़ा विसै