घणी बर्‌यां ही

बाखळ बीचली टाली माथै

आथणां फोरगो

जद साव अेकलो पंछी

आय'र बोलै

म्हनैं ईंयां लागै

जाणै बो बाखळ मांय

खेलता टाबरां नैं पूछै

'हं रै

म्हारली माऊ आई के अठै..?

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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