रूंख रै हेठै
चळू करता हा
म्हारा दादोसा
बड़ा बाप
बाऊसा
बडा अर छोटिया काकोसा...
रूंखरी छियां राखती
कडूम्बै नै ठाडो हरमेस!
आ बात पण पुराणी है...
अबै नीं रैया दादोसा
पांत्यां मांड्यो झोड़
कडूम्बै रा रूखाळा बण्या
बैरी अेक दूजै रै रगत रा!
पंच बण्ग्या खसम
काढ्यौ फरमान
अर
बंटग्या खेत
खिण्डगी रेत
रूळग्यो हेत
पांत्यां हुई च्यार
अेकर मण्डयो बैर
पूठौ नीं गैयो।
बापू सा म्हारा
अबै कर्या है
सौ बरस पूरा
फेरूं हुवैली
पांत्यां च्यार
म्हारै टापरै रै बारै
ऊभ्यौ रूंख
काल ई देख्यौ
आज ई देखै
काल ई देखसी...
रूंख ई है पड़तख गवाह
अपणापै री घसीजती
जमाबंदी रो।